देवांगना--आचार्य चतुरसेन शास्त्री

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18. अँधेरी रात में : देवांगना शयन-आरती हो रही थी। मन्दिर में बहुत-से स्त्री-पुरुष एकत्र थे। संगीत-नृत्य हो रहा था। भक्त गण भाव-विभोर होकर नर्तिकाओं की रूप माधुरी का मधुपान कर ...

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